Sunday, January 16, 2011

आज की आजादी

आज़ादी मिले हुए हमें 63 साल हो गये, 26 जनवरी को गणतंत्रता दिवस की 61 वीं वर्षगांठ है ! हमखुशनसीब हैं किहम आज़ाद भारत में सांस ले रहे हैं, किन्तु यहां यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि क्या वास्तव में हम आज़ाद हैं ? चौंकिये मत, हमारे देश में हमें हर प्रकार की आज़ादी मिली हुई है, किसी को भी गाली देने की आज़ादी, किसी की भीपिटाई करने की आज़ादी, शराब पीकर गाडी चलाते हुए लोगों को कुचल देने की आज़ादी, क्रूरतापूर्ण हत्या करने कीआज़ादी, मासूम बच्चियों/अबलाओं का बलात्कार करने की आज़ादी, गरीबों के शोषण की आज़ादी, कानून कीधज्जियां उडाने की आज़ादी, कहां तक गिनाऊं, हम कितने आजाद हैं? देखा जाये तो 63 वर्ष का मनुष्य हर तरह सेपरिपक्व हो जाता है, जवानी में की हुई गलतियों से सीख लेते हुए क्रमश: सुधार की ओर बढता है, किन्तु यदि हमअपने देश के विगत 63 वर्षों को देखें तो पता चलता है कि अभी तो अल्हडता इसकी रगों में बह रही है, हर क्षेत्र मेप्रगति करते हुए भी अभी हम खुशहाली से बहुत दूर हैं ! देश के चरित्र का तो कहना ही क्या, देश चलाने वाले लोगोंमें ईमानदार लोग उंगलियों पर गिने जा सकते हैं, भ्रष्ट और आपराधिक छवि वाले लोग हमारे देश को चला रहे हैं ! इससे ज्यादा दुर्भाग्य हमारे देश के गरीबों का क्या होगा कि सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिये उन्हें हर कदमपर रिश्वत देनी पडती है ! हमारे देश का किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो गया है ! स्कूल/कालेज में प्रवेशके लिये रिश्वत देते हुए छात्र के मन में यह बात घर कर जाती है कि कमाते वक्त मैं भी रिश्वत लूंगा ! जोईमानदार हैं, उन्हें ये सिस्टम लील जाता है ! मै यहां कोई नयी बात नहीं कर रहा हूं, सबको पता है, हमारे यहांचलता है", ये दो शब्द हर भारतवासी के मन में अन्दर तक बैठ गये हैं, या बैठा दिये गये हैं ! हम क्यूं हर गलतबातको स्वीकार कर लेते है, गलत को गलत कहने में और सही को सही कहने में हमारी ज़बान क्यूं लडखडाती है? हमकिससे डरते हैं? हम अपने बच्चों को निडर बनना कब सिखायेंगे? अभी तो हमें कई आयामों पर आज़ादी हासिलकरनी है ! अशिक्षा से आज़ादी, गरीबी और बेरोज़गारी से आज़ादी, सडी गली परंपराओं और कुरीतियों से आज़ादी, भ्रष्टाचार और बेइमानी से आज़ादी, सच बोलने की आज़ादी, हमारे दिलो दिमाग को हिंसा से आज़ादी कब मिलेगी? ब्रेनड्रेन से आज़ादी कब मिलेगी? कब विदेशों से पढ कर आने वाले छात्र अपने देश में नौकरी करने में गर्व महसूसकरेंगे? हम सब डर से कब आज़ाद होंगे?
हम हर साल जवाहर लाल नेहरु, महात्मा गाँधी, नेता जी सुभाष चन्द्र बोस, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, लालालाजपत राय, जैसे महान क्रन्तिकारी नेताओ के जन्मदिन हर साल मनाते है, पर क्या हम उन के नियमों औरहसुलो को क्या हम अपने जीवन में लागु कर पाए है, किसी को भी पता नहीं है की उन्होंने क्या कहा था! फिर भी मेंअपने भारतवर्ष के इन महान लोगो का शुक्रगुजार हु की कम से कम उन्हें उन के जन्मदिन का दिन तो याद है, परवह दिन भी दूर नहीं जब लोग यह दिन भी भूल जायेंगे! मेरे दोस्तों और भाइयो उन के सिधान्तो को अपनी जिंदगीमें अपना लो जिंदगी सफल हो जाएगी !
"सब चलता है", इन तीन शब्दों से हमें आज़ादी तब मिलेगी? हम सभी यदि अपने स्तर पर आज़ादी की मुहिमचलायें तो मुझे यकीन है कि जब हम सब अपने बच्चों, भाइयो, दोस्तों और आने वाली पीढियो को आजादी कामहत्व और सही मतलब समझाने में कामयाब हो जायेंगे, तो एक स्वतन्त्रता दिवस ऐसा भी आयेगा कि हमको तोतिरंगे पर नाज़ होगा ही, तिरंगा भी हम पर नाज़ करके इठलाता हुआ फ़हराएगा !
जय हिन्द ! जय भारत ! भारत माता की जय ! वन्दे मातरम् ! "

3 comments:

  1. आज़ादी....shi kah rhe ho jab tak hum khud nhi badlte tab tak kuch nhi honey wala...........gud work .keep it up.....nd best of luck

    ReplyDelete
  2. सुनील भाई साहब बहुत अच्छा लिखा हम अंग्रेजो से लम्बी लड़ाई लड़ने के बाद आजाद हुए ऐसा हम मानते है पर हकीकत यही है कि देश का हर नागरिक आज भी गुलाम नजर आ रहा है /
    सत्ता का सुख भोगने तथा देश कि भोली जनता को धर्म और समाज में बांटकर अपना काम बनाने में जुटी राजनितिक पार्टियों के पास देश कि समस्याओं को समझने और समाधान करने का वक़्त नहीं है /
    आज हमारे देश भ्रस्टाचार, गरीबी, बेरोजगारी, भूखमरी, और पीने के पानी के लिए संघर्ष कर रहा है जिससे ये बात पर्तीत होती है कि आज भी हमारा देश गुलामी कि लड़ाई लड़ रहा है /

    ReplyDelete