राजधानी के जंतर-मंतर पर 97 घंटे तक अनशन पर बैठे रहे अन्ना हजारे के आखिरकार
केंद्र सरकार ने घुटने टेक दिये। सच पूछिए तो 9 अप्रैल का दिन एक और आजादी
लेकर आया है। यानी 63 साल बाद देश एक बार फिर आजाद हुआ है। ये आजादी है
भ्रष्ट तंत्र से छुटकारा दिलाने की, ये आजादी है देश को लूट-खसोट से
मुक्ति दिलाने की। केंद्र सरकार ने जल्द ही लोकपाल विधेयक लाने का वादा
किया है। यह बात तय है कि अगर स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त तक लोकपाल
विधेयक पारित नहीं हुआ तो इस बार जंतर-मंतर नहीं बल्कि दिल्ली का लाल किला
भारत का तहरीर चौक बनेगा।
अन्ना हजारे ने कहा कि यदि 15 अगस्त तक लोकपाल विधेयक पारित नहीं हुआ तो वह
दोबारा आंदोलन करेंगे। अन्ना ने कहा कि वह इस आंदोलन के दौरान देश भर में
विभिन्न प्रदेशों में अनशन करने वाले लोगों से वह मुलाकात करेंगे और सबसे
सम्पर्क स्थापित करते हुए एक संगठन की नींव रखेंगे। आजादी की लड़ाई के समय
भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू जैसे देशभक्तों ने इंकलाब जिंदाबाद और वंदे
मातरम के नारे लगाकर जहां गोरे अंग्रेजों के नींद उड़ाई थी वहीं दूसरी
आजादी के इस आंदोलन में नौजवानों ने यह नारे लगाकर 'काले अंग्रेजों' की
नींद उड़ाई है
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