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बेटा लायक हो या नालायक, माता-पिता को तो उसका जन्मदिन मनाना ही होता है। यही हो रहा है आज जब यूपीए-2 अपने कार्यकाल के दो वर्ष पूरे कर अपना तीसरा जन्म दिवस मना रही है।
यदि सचमुच कुछ विशेष उपलब्धि सरकार के पास होती तो जश्न मनाना तो स्वाभाविक है। पर इस दिन को मनाना यूपीए की मजबूरी भी है। यदि वह कुछ न करे तो लोग ही कहने लगेंगे कि सरकार और इसके घटक दल तो स्वयं ही मान रहे हैं कि उसके पास उपलब्धि के नाम कुछ नहीं है।
हाल ही के पांच राज्य विधान सभा के चुनावों में कांग्रेस को खुशी थोड़ी मिली है और ग़म ज्यादा। बस इज्ज़त बचा ली असम ने, जहां कांग्रेस एक बार फिर अपने दम पर सरकार बनाने में सक्षम हो गई है। केरल में तो डूबती-डूबती नैया बची और उसके खेवनहार कांग्रेसी नहीं मार्क्सवादी स्वयं थे जिन्होंने जी-जान लगा दी अपनी ही अच्यूतानन्दन सरकार को हराने में। 140 के सदन में यूडीएफ के पास केवल 72 सदस्य हैं। कांग्रेस के पास केवल 34 सदस्य हैं और ‘सैकुलर’ कांग्रेस अब मुस्लिम लीग और क्रिश्चियन पार्टियों के साम्प्रदायिक एजैण्डे पर चलने में मजबूर होगी।
तमिल नाडू में तो डीएमके के साथ कांग्रेस ही लुटिया भी डूब गई। उधर डीएमके सर्वेसर्वा करूणानिधि गुस्से में हैं कि उन की लाडली बेटी कनीमोज़ी को कांग्रेस जेल भेजने से बचाने में नाकाम रही। इस कारण वह तो इस आयोजन का बहिष्कार ही कर रहे हैं हालांकि वह कल अपनी बेटी को मिलने दिल्ली आ रहे हैं ।
पश्चिमी बंगाल में तृणमूल कांग्रेस साम्यवादियों के मज़बूत किले पर विजय पाने में अवश्य सफल रहीं हैं पर इसका श्रेय तो सारे का सारा जाता है ममता दीदी को जिन्होंने कांग्रेस से बग़ावत कर तृणमूल कांग्रेस बना ली थी क्योंकि कांग्रेस अपने संकीर्ण राजनैतिक हित के कारण साम्यवादियों को नाराज़ नहीं करना चाहती थी। कांग्रेस को जितनी भी सीटें वहां मिली है वह अपन बलबूते पर नहीं तृणमूल कांग्रेस को पिच्छलग्गू बन कर मिली हैं।
पुड्डीचेरी में कांग्रेस ने अपनी सरकार खो दी। पिछले एक वर्ष में कांग्रेस ने शायद ही कोई उपचुनाव जीता है जिसमें उसने अपने विरोधियों को हराया हो। राज्य विधान सभा चुनावों के साथ हुये आठ विधान सभी उपचुनावों और एक लोक सभा उपचुनाव में उसे कोई सीट नहीं मिली है। कर्नाटक में जहां राज्यपाल श्री हंस राज भारद्वाज के माध्यम से अपनी राजनीति चला रही है वहां उपचुनाव में वह अपनी दो सीटें भाजपा के हाथों गंवा चुकी है।
सब से अधिक मिटटीप्लीद तो कांग्रेस की अपने ही गढ़ आंध्र प्रदेश में हुई जहां कडप्पा लोक सभा चुनाव में स्वर्गीय वाई एस आर रैड्डी के बेटे जगनमोहन रैड्डी ने सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी दोनों को अपनी औकात दिखा दी। पांच लाख से अधिक मतों से कांग्रेस प्रत्याशी को हरा कर जगन ने स्पष्ट संकेत दे दिया कि 2009 में आंध्र में कांग्रेस की जीत न तो कांग्रेस की थी और न श्रीमती सांनिया गांधी की बल्कि केवल मात्र उनके पिता की थी। कांग्रेस और तेलगू देशम पार्टी के प्रत्याशियों की ज़मानत भी ज़बत हो जाना कांग्रेस हाईकमान और आंध्र की कांग्रेस सरकार दोनों के लिये बहुत धक्का है।
श्री जगन रैडडी की 5,21,000 से अधिक मतों से यह जीत स्व0 श्री पी0 वी0 नरसिम्हा राव की 5,40,000 से अधिक मतों की जीत से भी अधिक श्रेयस्कर है क्योंकि श्री राव ने उपचुनाव प्रधान मन्त्री होते हुये कांग्रेस के टिकट से लड़ा था और तेलगू देशम ने उनके विरूद्ध उम्मीदवार खड़ा नहीं किया था क्योंकि पहली बार कोई व्यक्ति आन्ध्र प्रदेश से प्रधान मन्त्री बना था जबकि श्री जगन अपने बलबूते पर जीते हैं और कांग्रेस, तेदेपा तथा अन्य दलों ने भी उसका विरोध किया था।
श्री जगन की माता श्रीमती विजलक्षमी ने भी कांग्रेस का उपचुनाव में यही हाल किया।
यह तो हुई राजनीति की बात। और क्षेत्रों में भी तो कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां कांग्रेस सिर उठा कर बात कर सके। आज मनमोहन सरकार देश में अब तक की सब से भ्रष्ट सरकार बन कर देश और विश्व के सामने आ खड़ी है। प्रतिदिन घटते भ्रष्टाचार के घोटालों ने सरकार की अपनी ईमानदारी पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। उसके कई मन्त्री और सांसद जेल में इस सरकार की शोभा बढ़ा रहें हैं।
जब शुरू में 2जी स्पैक्ट्रम घोटाला, राष्ट्रमण्डल खेल घोटाला, आदर्श हाउसिंग जैसे अनेक घोटाले सामने आये तो शुरू में तो सरकार और कांग्रेस सब कुछ ठीक और कानून के अनुसार होने का दावा करती रही। कांग्रेस व प्रधान मन्त्री डा0 मनमोहन सिंह ने तत्कालीन संचार मन्त्री ए राजा को ईमानदार होने का प्रमाणपत्र भी जारी करते रहे। और अब जब उच्चतम न्यायालय की छड़ी उठाने पर कुछ कार्यवाही हुई हे तो उसका यह सरकार व कांग्रेस श्रेय लेने का घिनौना प्रयास कर रही है।
विदेशी बैंकों में भारतीयों के काले धन को भी वापस लाने के लिये इस सरकार ने कोई ईमानदार प्रयास नहीं किया है। जिन व्यक्तियों के नाम सरकार के पास हैं सरकार उन्हें भी सार्वजनिक करने में शर्मा रही है। जिन व्यक्तियों ने राष्ट्र का धन चोर कर विदेशों में रखा है उन्हें तो शर्म नही आ रही पर इस सरकार को उनके नाम जगज़ाहिर करने में हिचकिचाहट है। कारण समझ नहीं आता। यही तो कारण है कि आये दिन कई नेताओं के नाम मीडिया में उभर रहे हैं।
यही कारण है कि आज जनता के मन में यह बात घर कर रही है कि मनमोहन सरकार भ्रष्टाचार को बढ़ावा और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दे रही है।
यूपीए प्रथम के समय मनरेगा तथा सूचना के अधिकार जैसे कानून बनाने का श्रेय तो था, पर पिछले दो वर्षों में तो उपलब्धियों के नाम पर उसके पास गिनाने के लिये कुछ है ही नहीं।
आम आदमी का दम तो भरती है। उसके नाम पर यह सरकार वोट तो मांगती है पर पिछले दो सालों में उसके लिये इसने किय कुछ नहीं है।
महंगाई और मुद्रास्फीती रोकने की यह सरकार डींगें तो बार-बार मांगती है पर जो कुछ कर रही है वह सब के सामने है। आम आदमी की प्रतिदिन काम आने वाली आवश्यक वस्तुओं के मूल्यों पर इस सरकार का कोई नियन्त्रण नहीं है। सरकार की अपनी ही रिपोर्ट के अनुसार देश की आधी से अधिक आबादी प्रतिदिन बीस रूपये से कम की आमदनी पर जी रही है। सरकार बताये कि आसमान छूने वाली इस महंगाई में ऐसे व्यक्ति दो वक्त की रोटी कैसे खा पायेंगे?
चुनाव समाप्त होते ही सरकार ने पैट्रोल की कीमन 5 रूपये प्रति लिटर बढ़ा कर मतदाता से छलाव किया है। डीज़ल, रसोई गैस तथा मिटटी के तेल की कीमतें बढ़ायें जाने के चर्चे हैं। सरकार पिछले दो वर्ष में 11 बार इन वस्तुओं की कीमतें बढ़ा चुकी है।
कांग्रेस को तो सिंगूर बना कर चुनाव जीतने के सपने तो देख रही है पर जनता नहीं भूली कि जब सिंगूर में नरसंहार और बलात्कार जैसी घटनायें हो रही थीं तो उसकी पश्चिमी बंगाल की साम्यवादी सरकार से सांठ-गांठ थी क्योंकि साम्यवादी यूपीए को समर्थन दे रहे थे। भूमि अधिग्रहण कानून कई सालों से केन्द्र सरकार के पास लटका पड़ा है।
देश के अनेक राज्यों में किसान आत्महत्यायें कर रहे हैं। आंध्र प्रदेश में ही किसान आन्दोलन कर रहे हैं पर सरकार कुछ नहीं कर रही क्योंकि वहां चुनाव नहीं हैं। कांग्रे यूपी में शोर मचा रही है क्योंकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार नहीं है और वहां अगले वर्ष चुनाव हैं।
यूपीए सरकार कई सालों से बड़ा शोर मचा रही है कि पाकिस्तान के पास 50 ऐसे अपराधी हैं जिनकी आतंकी अपराधों के लिये भारत का तलाश है। पर अब दो ऐसे व्यक्ति उजागर हुये हैं जो सीबीआई की हिरासत में हैं। इससे सरकार की भी और देश की भी खिल्ली उड़ी है। उपर से केन्द्रिय गृह मन्त्री कहते हैं कि इस में शर्मिन्दा होने वाली बात नहीं है। तो क्या इस नालायिकी पर देश गर्व करे?
ऐसी अवस्था में आज जो समारोह हो रहा है वह किस बात का है? सरकारी खर्च पर अपनी असफलताओं और काले कारनामों को छपाने का एकमात्र प्रयास है।